28 अक्टूबर, 2025 की शाम या रात को, काकिनाडा के आसपास आंध्र प्रदेश के तट पर एक भयानक साइक्लोन टकराने वाला है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 27 अक्टूबर को जारी किए गए आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में चेतावनी दी है कि साइक्लोनिक तूफान मोंथा अपने तीव्रता को बढ़ाकर गंभीर साइक्लोनिक तूफान में बदल जाएगा, जिसकी अधिकतम लगातार हवाएं 90-100 किमी/घंटा और झोंके 110 किमी/घंटा तक पहुंच सकती हैं। ये तूफान सिर्फ हवाओं का नहीं, बल्कि 21 सेमी से अधिक अत्यधिक वर्षा का भी तूफान है — जो आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में 27 से 29 अक्टूबर तक बरसेगी।
दो तूफान, एक आपदा: बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का खतरनाक जोड़ा
यहां बात सिर्फ एक साइक्लोन की नहीं है। IMD की रिपोर्ट में एक और खतरा भी शामिल है — पूर्वी अरब सागर में एक निम्न दबाव क्षेत्र। ये दोनों व्यवस्थाएं एक दूसरे के असर को बढ़ा रही हैं। इसका मतलब है कि न सिर्फ आंध्र प्रदेश, बल्कि ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और रायलसीमा भी भारी बारिश और तेज हवाओं के दायरे में आ गए हैं। असली डर यह है कि ये तूफान एक दूसरे के साथ गठबंधन कर रहे हैं — जैसे दो बाढ़ के बहाव एक साथ जुड़ जाएं।
समुद्री अवस्थाएं: मछुआरों के लिए जीवन-मृत्यु का सवाल
समुद्र की स्थिति अब इतनी खराब हो गई है कि IMD ने पूरे बंगाल की खाड़ी और उसके आसपास के तटों पर मछुआरी गतिविधियों को पूरी तरह बंद करने का आदेश दे दिया है। तूफान के दौरान समुद्र की लहरें ‘अत्यधिक उच्च’ तक पहुंच सकती हैं — जो छोटी नावों के लिए बर्बर और मारक हैं। जिन लोगों ने अभी तक अपने नौकरी के लिए समुद्र की ओर देखा है, उनके लिए यह एक जीवन-मृत्यु का फैसला है। कोई नौकरी नहीं, बल्कि जान बचाना है।
बारिश का बहाव: काकिनाडा से लेकर छत्तीसगढ़ तक
अत्यधिक वर्षा का असर सिर्फ तटीय इलाकों तक ही सीमित नहीं है। IMD के अनुसार, यानम (पुडुचेरी का एक जिला) में 21 सेमी से अधिक बारिश होने की संभावना है। ओडिशा और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में 28 और 29 अक्टूबर को भारी बारिश होगी — जिससे बाढ़ और जमीन का अपने आप ढहने का खतरा बढ़ जाएगा। यह बारिश अकेली नहीं है। यह एक लंबे समय तक चलने वाली घटना है — जो तीन दिन तक जारी रहेगी। जिन इलाकों में पहले से ही जल निकासी की सुविधाएं कमजोर हैं, वहां यह आपदा बहुत बड़ी हो सकती है।
अन्य राज्यों में तूफान का असर
इतना ही नहीं — तमिलनाडु और पुडुचेरी के तट पर 27-28 अक्टूबर को हवाएं 45-55 किमी/घंटा तक पहुंचेंगी, जबकि पश्चिम बंगाल के तट पर 28-29 अक्टूबर को 35-45 किमी/घंटा की झोंकें आएंगी। ये सभी इलाके अभी तक बारिश के लिए तैयार नहीं हैं। जहां लोग अभी तक अपने घरों की छतें ठीक कर रहे हैं, वहां नई बारिश उन्हें फिर से टेढ़ा-मेढ़ा बना देगी।
क्या तैयारियां हो रही हैं?
आंध्र प्रदेश सरकार ने तुरंत आपातकालीन टीमें तैनात कर दी हैं। शहरों में आपातकालीन शिफ्टिंग केंद्र खोले गए हैं। अस्पतालों को आपातकालीन आपूर्ति और बिजली की बैकअप सुविधाएं दी गई हैं। लेकिन अभी भी कई गांवों में अभी तक रास्ते नहीं हैं, न ही रेडियो या मोबाइल नेटवर्क। यही वजह है कि लोग अभी भी अंधेरे में हैं — और बारिश का असर तभी दिखेगा जब नदियां बाढ़ में आएंगी।
क्या यह आम बात है?
नहीं। यह बहुत असामान्य है। उत्तरी हिंद महासागर में साइक्लोन अप्रैल से दिसंबर तक आते हैं, लेकिन एक ही समय में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों में तूफान बनना बहुत कम होता है। पिछले 15 सालों में ऐसा सिर्फ दो बार हुआ है — 2010 और 2020। दोनों बार इसका असर बहुत भारी रहा। यह न केवल एक मौसमी घटना है, बल्कि जलवायु परिवर्तन का एक और संकेत भी है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
काकिनाडा और आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों को सबसे ज्यादा क्या खतरा है?
सबसे बड़ा खतरा अत्यधिक वर्षा (21 सेमी से अधिक) और तेज हवाएं (110 किमी/घंटा तक) हैं। इनके साथ समुद्री लहरें ‘अत्यधिक उच्च’ हो जाएंगी, जिससे तटीय इलाकों में बाढ़ और समुद्र का अंदर आना हो सकता है। जिन घरों की नींव कमजोर है, वे टूट सकते हैं। बिजली और संचार के तार उड़ सकते हैं — जिससे बचाव कार्य रुक सकते हैं।
मछुआरे अब क्या करें?
IMD ने पूरे बंगाल की खाड़ी में मछुआरी गतिविधियों को पूरी तरह बंद कर दिया है। कोई भी नाव समुद्र में नहीं जानी चाहिए। मछुआरों को तुरंत तट पर आना चाहिए और अपनी नावों को सुरक्षित स्थान पर बांधना चाहिए। सरकार अस्थायी आर्थिक सहायता भी देगी, लेकिन जान बचाना पहला लक्ष्य है — कोई नौकरी नहीं, जान ज्यादा महत्वपूर्ण है।
छत्तीसगढ़ और ओडिशा में बारिश का असर क्या होगा?
ये राज्य तटीय नहीं हैं, लेकिन इनके पहाड़ी और बाढ़ आसान इलाके बारिश से बहुत प्रभावित होंगे। ओडिशा में जिन गांवों में नदियां पहले से ही बाढ़ में हैं, वहां नए पानी का बहाव गांवों को बहा सकता है। छत्तीसगढ़ के जंगली इलाकों में भूस्खलन का खतरा है। सरकार ने इन इलाकों में आपातकालीन टीमों को तैनात किया है।
क्या यह जलवायु परिवर्तन का परिणाम है?
हां। वैज्ञानिकों के अनुसार, बंगाल की खाड़ी का पानी पिछले 20 वर्षों में 1.5 डिग्री सेल्सियस गर्म हो चुका है — जो साइक्लोन की तीव्रता को बढ़ाता है। अरब सागर में निम्न दबाव का अचानक आना भी असामान्य है। ये दोनों घटनाएं एक साथ आना बहुत कम होता है — और जब होता है, तो नुकसान बहुत भारी होता है। यह जलवायु परिवर्तन का एक स्पष्ट संकेत है।
अगले 48 घंटे में क्या देखना चाहिए?
28 अक्टूबर की शाम से रात के बाद, आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में बारिश और हवाएं चरम पर होंगी। 29 अक्टूबर की सुबह तक लहरें अभी भी उच्च रहेंगी। ओडिशा और छत्तीसगढ़ में बारिश का दबाव बना रहेगा। लोगों को अपने घरों में रहना चाहिए, नदियों और नालों के पास नहीं जाना चाहिए, और बिजली के तारों से दूर रहना चाहिए।
क्या सरकार ने बचाव योजना बनाई है?
हां। आंध्र प्रदेश और ओडिशा सरकारों ने आपातकालीन शिफ्टिंग केंद्र खोले हैं। एनडीएफ और एनसीएफ टीमें तैनात हैं। राष्ट्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम भी तैयार है। लेकिन गांवों में संचार की कमी और रास्तों का न होना बचाव को मुश्किल बना रहा है। अभी भी कई लोग अनजान हैं — और वहीं खतरा सबसे ज्यादा है।