दोस्तो आपने ज़िंदगी में हर तरह के कोर्स के बारे में सुना होगा जैसे- कुकिंग कोर्स स्पीकिंग कोर्स। आज आप
एक नये कोर्स के बारे मे सुनेगे जो की है – ७ दिनों में सीखे की कैसे बिदाई के समय रोया जाता है।
जी हाँ, ये सच्ची घटना है और इसको अंजाम देने वाली महिला भोपाल की है भोपाल की एक महिला जिनका नाम है “राधिका रानी”
ये बताती हैं की ये एक वैवाहिक समारोह में गयी। विवाह सकुशल सम्पन हुआ पर जब बिदाई की बारी आयी तो दुल्हन और दुल्हन की सहेलियों की आखें एक दूसरे की तरफ इशारा करने लगी। सबके मुंह पे बस एक ही सवाल था की अब रोया कैसे जाए। वो एक दूसरे को देखने लगी की तुम शुरू करो, तुम शुरू करो फिर हम तुम्हे फॉलो करेंगे। इस वक़्त जोश में आकर एक सहेली ने शुरूआत करके हौसला दिखाया भी पर वो इस दौरान इतना ओवररियेक्ट कर गयी की दुल्हन उसे देख के रोने की बजाय हसने लगी और सभी बारात और परिवार वाले भी हंस-हंस के लोट पोट हो गए।
असल में हम ज़िंदगी की भाग दौड़ में इतने व्यस्त हो गए हैं की कुछ सेंसिटिव बातें ही हमारी दैनिक शैली से निकल चुकी है। आज कल शादी होने से पहले ही लड़की अपने ससुराल वालो से इतनी परिचित हो जाती होकर घुल मिल जाती हैं की लगता ही नहीं की हम अपना घर छोड़के किसी और के घर जा रहें है। अपना भविष्य अपने ससुराल में देखना तो ठीक है पर जैसे-जैसे बड़ी हो रही अपने माँ बाप से घनिष्टता थोड़ी तो ख़त्म हो रही है।
जैसा की राधिका कह
ती हैं इसका भी एक तोड़ निकाला है उन्होंने। राधिका कहती हैं- मैने इसके लिए एक कोर्स शुरू किया है जिसके तहत हम उनके घरवालो को प्रशिक्षण देंगे की किस तरह असली के आंसू निकाले जाए बिदाई के समय और उस छन को व्यंग्य का पात्र न बनाया जाए। क्यों की हम पूरी शादी का खर्च और तैयारियां पैसो से कर सकते हैं पर रोना तो घर वालो को ही पडे़गा।
भारतीय संस्कार में जब लड़की की बिदाई होती है तो पूरा परिवार रिश्तेदार रोते हैं, इसलिए यह एक संकेत भी हो सकता है आपके लिए अगर जो आपके आँसू नहीं आते हों तो ऐसे पलो में तो हसी का पत्र न बनना पड़ जाये।